Husn
ना वज़ह तुम बेवज़ह
बेवफा तुम हो गए
जिस्म हम तोह भूल गए
वो हुस्न अब भी याद है
बात यह बेबाक है
और साथ में ही पाक है की
हुस्न तुम्हारा साद सा
आज मेरा साथ है
रोशनी और नूर तुम्हारा
आफ़ताब का ख्वाब है
प्यार महब्बत इश्क़ हमारा
हुस्न तुम्हारा ताज है
मुकद्दर के तलाश में
हम काफिले संग चल पड़े
दीदार-ए-हुस्न हुआ आपका
मंजिल से रूबरू हो गए
Saazish
इन लहरों के आहट में
तुम्हारी आदत है
नजदीक तो आती है
फिर दूर चली जाती है
तारो तले बैठा हूँ
एक मैं हूँ और एक समंदर
कितने अरमान दबा रखा हूँ
मैं दिल के अंदर
साथ है तन्हाई
और तुम्हारी कमी है
लहरे छू रही कदमो को
पर गायब वो नमी है
ख़तम कर लू तन्हाई
ज़ारी मेरी कोशिश है
तुम्हे मैं यहां ले आउ
बस यही मेरी साजिश है
Kisi Dusre Ke Kahne Par
किसी दूसरे के कहने पर assignments लिख देती थी
और मैंने पूछा तो कहती हाँथो में दर्द है
किसी दूसरे के साथ घंटो रात बात करती थी
और मैं बात करता तो कहती घर से फोन है
किसी दूसरे के बातो से पिघल तू जाती थी
और मैं बात करने आता तो बहाना बना लेती थी
किसी दूसरे के कहने से मुझसे रूठ जाती थी
मैं मनाने आता तो रुख मोड़ लेती थी
किसी दूसरे ने तुझे सिर्फ कुछ पल चाहा
फिर भी वो तेरे लिये तेरा जहाँ बन गया
किसी दूसरे ने मुझसे तुझे छीन लिया
मैं देखता रहा, मेरा मजाक बन गया
Jab Bhi Tu Uske Saath Hoti Hai
अल्फाज मर जाते है
शायद वो अंदर ही घुट जाते है
फासले तेरे मेरे बिछ के
अक्सर बढ़ जाते है
बेकरार मेरी ख्वाइशें
तुझसे बेकिनार होती है
जब भी तू उसके साथ होती है
जीने का मकसद भी
बिछड़ जाता है
बेरहम वक़्त भी
मुझे तन्हा पाता है
तेरे साथ बनायी यादे
मुझे तड़पा ज़ाती है
जब भी तू उसके साथ होती है
छुपा हुआ जख्म
फिर बाहर आता है
वही पुराना दर्द
फिर से नया बन जाता है
यादों और अश्को की महफ़िल
फिर रंग जाती है
जब भी तू उसके साथ होती है
Shayad Majburi Rahi Hogi
शायद मजबूरी रही होगी
जो तुझको मुझ में शामिल कर दिया
तलाश किसी और की थी
लेकिन तुझको हासिल कर दिया
जमाना तुझसे ख़फ़ा था
फिर भी तुझे अपना कर दिया
हर ज़ुबान पे तेरे अफ़साने थे
लेकिन सबको नजरअंदाज कर दिया
बाते झूठी थी और इरादे नापाक
हर हरकत को नाकाम कर दिया
बेहक़ीक़त थी तेरी कहानियों में
सुनके सबको बेदखल कर दिया
कोशिश तुझे बदलनेकी थी
लेकिन तूने मुझे मना कर दिया
इश्क़ तुझसे कभी कर नही पाया
इज़हार-ए-नफरत सरेआम कर दिया
Aaj Mai Phir Khaamosh Tha
आज मै फिर ख़ामोश था
वजह तू थी और तेरे अफ़साने थे
जो मैं पढ़ चूका हु
तेरे साथ बिताये वक़्त में
एक नयी सी उलझन है
के ये तजुर्बा है या तालीम है
जो मैंने पायी है
तेरी हर बात मान के
तू अँधेरी एक रात है
पता नहीं शायद गुफाह है
भूलभुलैया सी भी तू ही है
जिसमे खो गया हूँ फिरसे
तेरी उलझन सी मुस्कान है
वो मुस्कान ही मेरा मस्कन है
हर हरकत में बचपन है
जिनसे नफरत हो गयी अबसे
Written By
Ishwar Sarade, final year student, IT, SKNCOE
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मुझे मालूम था ,तू एक ईश्वर है,
इतनी सुंदर पंक्तीया तुही बना सकता है
चारो और खुशीहाली का
तू मेरा नजारा है
काम तेरा रोशन हो
ये मेरी शुभकामना है
Amazing Ishuuuu 🤗
Keep it up
Mind blowing !!